31 अक्तूबर 2010

बग़ावत के दोहे-हिन्दी कविता (bagawat ke dohe-hindi kavita)

पैसा देकर उन्हें दायें चलाओ, दिखाओ चाहे वामपंथ,
कौड़ी पायें योगी को पुकारें नट, कार्ल मार्क्स को संत।।
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सत्संग छोड़कर करें चर्चा,जंगी विद्वान चलाते हैं बहस,
जन कल्याण का दिखावा,करते बस अपनी पूरी हवस।।
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उनके नारों में क्रांति की चमक, वादों में जोरदार विद्रोह दिखता है,
सबसे लड़ें नकली जंग, शोषण के छोर में भ्रष्टाचार यूं ही छिपता है।।
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सब शोर मचा रहे हैं, देश के मज़दूर और गरीबों की भलाई का,
छद्म है उनकी जंग, लक्ष्य है लूटना कल्याण में मिली मलाई का।।
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एक अक्लमंद ने लूट लिया ज़माने का सामान, भलाई का नाम लेकर,
दूसरे ने देखा पर मुंह फेर लिया, छोड़ी बगावत मलाई का दाम लेकर।।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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23 अक्तूबर 2010

ज़माने को हंसता पाया-हिन्दी शायरी (zamane ka hansna-hindi sher)

अपनी बहादुरी पर
कुछ इतना इतराये कि
ज़माने का बोझ अपने कंधे पर उठाया,
जो दबकर गिरे ज़मीन पर
घायल होकर
अपने दर्द पर रोये
ज़माने को ऊपर खड़े हंसता पाया।
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उस्तादों के शेर चुराकर
वह लोगों को सुनाते हुए
शायर कहलाने लगे,
पकड़े गये तो शागिर्द होने का हक़ जताने लगे।
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10 अक्तूबर 2010

हमदर्दी के लिये सभी प्यासे-हिन्दी शायरी (hamdardi ke liye sabhi pyase-hindi shayri)

अपनी तन्हाई दूर करने के लिये
कई दरवाजे हमने खटखटाये,
बांटने चले थे अपने ग़म हम जिनके साथ
उनके दर्द अपने साथ और ले आये।
दिल को बहलाने के सामानों में
लोग हो गये मशगूल
शिकायत करो तो
खिलौने खरीदने पर
अपनी चुकाई कीमतों के पैमाने बताते हैं,
मुलाकाती ढूंढते हैं रुतवा दिखने के लिये
भले ही अकेलेपन के अहसास उनको भी सताते हैं,
जहां भी जज़्बातों का समंदर ढूंढा हमने
तन्हा लगा पूरा ज़माना
हमदर्दी के लिये सभी प्यासे नज़र आये।
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2 अक्तूबर 2010

शोहदे हो गये अमन पसंद-हिन्दी व्यंग्य कविता (shohe hogaye aman pasand-hindi satire poem)

शहर में अमन देखकर
कुछ हैरान हैं
कुछ लोग परेशान हैं
बंद हैं दुकान
छिपाये हुए हैं इंसानों को मकान
जबकि आयोजित नहीं है ‘शहर बंद’।
सच यह है कि
सारे शोहदे हो गये हैं दौलतमंद,
सर्वशक्तिमान के नाम पर
चंदा बटोरने का व्यापार कर कहलाये अक्लमंद,
सब खुश हैं
फिर भी अमन के मसीहा
लोगों को समझा रहे हैं,
खतरों की पहेली बुझा रहे हैं,
कुछ काम तो उनको भी चाहिये
वरना कौन उनको पहचानेगा,
शोहदों पर अपना कब्जा
नहीं दिखायेंगे तो
हर कोई उन पर हथियार तानेगा,
लोग भी खुश है यह सोचकर कि
उनके रास्ते खुले रहेंगे
भले ही सिक्कों में तुलकर ही
शोहदे हो गये हैं अमन पसंद।
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