रहिमन वहां न आइए, जहां कपट को हेत
हम तन ढारत ढेकुली, सींचत अपनो खेत
कविवर रहीम कहते हैं कि वहां कतई न जाईये जहां कपट होने की संभावना है। रात भर ढेंकली कोई किसान चलाता रहे पर कोई कपटी उसके खेत का पानी अपनी खेत की तरफ कर ले ऐसा भी होता है।
वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-छलकपट तो पहले भी था पर अब तो आधुनिक तरीके आ गये हैं और इस तरह छलकपट होता है कि कई बार पता भी नहीं चलता कि हमने क्या और क्यों गंवाया? पहले तो आमने-सामने ही कपट होता था पर अब तो मोबाइल और इंटरनेट के आने से तो वह व्यक्ति हमारी आंखों के सामने भी नहीं होता जो हमें ठगता है। खासतौर से उन युवक और युवतियों को सजग रहना चाहिए जो अपने लिये जीवन साथी ढूंढते है। यहंा तो इतना झूठ बोला जा सकता है कि जिसे पकड़ना संभव ही नहीं है। कोई छद्म नाम रखकर, किसी बड़े परिवार से संबंध बताकर या अपने को बहुत व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत कर धोखा देना बहुत आसान है। एक की जगह दूसरे की फोटो भी रखी जा सकती है। ऐसे सैंकड़ों मामले हैं। अभी कई लोगों का यह पता भी नहीं होगा कि हिंदी में ब्लाग लिखे जाते हैं और वह इन कपटों की जानकारी बहुत अच्छी तरह रखते हैं। जो लोग इंटरनेट पर सक्रिय हैं उनको नित-प्रतिदिन हिंदी के ब्लाग पढ़ना चाहिए क्योंकि जिस तरह के धोखेबाजी की जानकारी यहां मिल जाती है अखबारों में भी नहीं मिल पाती।
इसीलिये कपट से बचने के लिए जितना हो सके सावधानीपूर्वक अपने संबंध बनाने चाहिए। नई तकनीकी ने आजकल धोखे के नये तरीकों को जन्म दिया है जिससे यह आसान हो गया है कि न नाम का पता चले न शहर की जानकारी हो और किसी से भी धोखे का शिकार जाये।
शब्द अर्थ समझें नहीं अभद्र बोलते हैं-दीपकबापूवाणी (shabd arth samajhen
nahin abhardra bolte hain-Deepakbapuwani)
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*एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां
पायें।*
*‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।*
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5 वर्ष पहले
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