तलवार से एक कत्ल करोगे,
पर खुद भी कभी उसके वार से मरोगे।
अपनी शायरी से जीत लो दुनियां
अपना नाम अक्लमंदों की सूची में भरोगे।
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तलवारें है जिनके हाथ में
उन पर क्या भरोसा करना
कब कर बैठें वह अपने आदमी पर वार,
गरदना काटने पर बहादुरी
और कट जाने पर शहीद का दर्जा
भले ही जमाना देता है
पर शायरी से जीते हैं दिल जिन्होंने
उनको इतिहास अपने पन्नों में
हमदर्दों के रूप में दर्ज कर लेता है
सच कहा है कि किसी ने
लफ्ज़ों करते हैं जितना प्रहार
कर नहीं सकती वैसा तलवार।
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com
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*एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां
पायें।*
*‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।*
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4 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
दीपक जी,अच्छी रचना है।बधाई।
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