कातिल मिला कातिल से करके लंबे हाथ,
बहुत दिनों बाद हुआ यूं उनका साथ,
एक बोला दूसरे से
‘’यार, अब अपने धंधे में मज़ा नहीं आ रहा है
पैसा बहुत है पर नाम अमीरों की तरह नही चमक पा रहा है,
अपने से अधिक तो यह टीवी चैनल वाले तेज हैं,
देश के नये अंग्रेज हैं,
हम कत्ल कर आते हैं
यह उस पर सनसनी पकाते हैं,
फिल्मों में खलनायकों को भी नायकों जैसा देखते हैं
पर समाज में हम कातिल अपनी छबि नायक जैसी नहीं बना पाते हैं।’’
दूसरा बोला
‘’चिंता मत करो
अपने लोग सभी जगह आ गये हैं,
सभी रंग में सभी जगह छा गये हैं,
हमारे प्रायोजक सौदागर
कई जगह अपना रुतवा दिखाते हैं
कैसे कातिलों को नायक बनायें
प्रचारकों को यह सिखाते हैं
कुछ अक्लमंद उन्होंने रख लिये हैं अपने पास
उनकी बहसों से पूरी होगी अपनी नायक बनने की आस,
हम तो बस कत्ल करेंगे,
वह उसमें धर्म, जाति, भाषा और विचार के रंग भरेंगे,
एक कत्ल पर कहीं विरोध हो जायेगा,
तो कातिल के मरने पर
उसका नायक जैसा शोध हो जायेगा,
गुलाम होगा सारा ज़माना हम कातिलों का
आज़ादी के लिये कहीं धर्म, जाति, भाषा क्षेत्र का
नारा गूंजेगा तो
कहीं माओ का नाम लिया जायेगा,
भरोसा रखो
अक्लमंदों की बहस में दम हुआ तो
हम क़ातिलों को इतिहास करेगा
महानायकों की तरह दर्ज
अभी भी तो अपना पूरा पैसा वैसे ही पाते हैं।
-------------
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com
-----------------------------
‘दीपक भारतदीप की हिन्दी-पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
hasya kavita in hindi,hindi haysa kavita,mahanyak,itihas,gulam,paisa
राम का नाम लेते हुए महलों में कदम जमा लिये-दीपक बापू कहिन (ram nam japte
mahalon mein kadam jama dtla-DeepakBapukahin)
-
*जिसमें थक जायें वह भक्ति नहीं है*
*आंसुओं में कोई शक्ति नहीं है।*
*कहें दीपकबापू मन के वीर वह*
*जिनमें कोई आसक्ति नहीं है।*
*---*
*सड़क पर चलकर नहीं देखते...
6 वर्ष पहले