पैसा देकर उन्हें दायें चलाओ, दिखाओ चाहे वामपंथ,
कौड़ी पायें योगी को पुकारें नट, कार्ल मार्क्स को संत।।
---------
सत्संग छोड़कर करें चर्चा,जंगी विद्वान चलाते हैं बहस,
जन कल्याण का दिखावा,करते बस अपनी पूरी हवस।।
--------------
उनके नारों में क्रांति की चमक, वादों में जोरदार विद्रोह दिखता है,
सबसे लड़ें नकली जंग, शोषण के छोर में भ्रष्टाचार यूं ही छिपता है।।
------------
सब शोर मचा रहे हैं, देश के मज़दूर और गरीबों की भलाई का,
छद्म है उनकी जंग, लक्ष्य है लूटना कल्याण में मिली मलाई का।।
------------
एक अक्लमंद ने लूट लिया ज़माने का सामान, भलाई का नाम लेकर,
दूसरे ने देखा पर मुंह फेर लिया, छोड़ी बगावत मलाई का दाम लेकर।।
----------------
कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com
-----------------------------
‘दीपक भारतदीप की हिन्दी-पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
usdtad aur shagird
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
राम का नाम लेते हुए महलों में कदम जमा लिये-दीपक बापू कहिन (ram nam japte
mahalon mein kadam jama dtla-DeepakBapukahin)
-
*जिसमें थक जायें वह भक्ति नहीं है*
*आंसुओं में कोई शक्ति नहीं है।*
*कहें दीपकबापू मन के वीर वह*
*जिनमें कोई आसक्ति नहीं है।*
*---*
*सड़क पर चलकर नहीं देखते...
6 वर्ष पहले