11 जनवरी 2015

कोई ढूंढे तो-हिन्दी कविता(koyee dhoohdne to-hindi poem)



हृदय में भावना
उमड़ते समंदर में
मोती जैसे भाव भरे हैं
कोई ढूंढे तो।

जीभ के पर्वत से
बह सकती है
शब्दों से भरी वाणी
नदी की तरह
अपनी धारा से
ज़माने के हृदय में
शीतलता बरसा सकती है
कोई बोले तो।

कहें दीपक मुश्किल होता है
जब आंखें बाहर देखती हैं
अंदर रहता है अंधेरा
कान आतुर है प्रिय
स्वर सुनने के लिये
अंदर बहरेपन का होता पहरा
अपनी उंगली
सारी दुनियां की तरफ
दुश्मन बताने के लिये उठाते
अपनी सोच में
ढेर सारे कांटे मिल जायेंगे
कोई खोले तो।
-------------------

दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

कोई टिप्पणी नहीं:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

संबद्ध विशिष्ट पत्रिकायें

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

वर्डप्रेस की संबद्ध अन्य पत्रिकायें