19 जुलाई 2015

भजन या सत्संग से मिले अमृत से ही तनाव के विष से मुक्ति-हिन्दी चिंत्तन लेख(BHAJAN YA SATSANG SE MILE AMRIT SE MUKTI-HINDI THOUGHT ARTICLE)


                              अंग्रेजी संस्कारों ने हमारे देश में रविवार को सामान्य अवकाश का दिन बना दिया है। रविवार के दिन सुबह भजन या अध्यात्मिक सत्संग प्रसारित करने वाले टीवी चैनल खोलकर देखें तो वास्तव में शांति मिलती है। चैनल ढूंढने  के लिये रिमोट दबाते समय अगर कोई समाचार चैनल लग जाये तो दिमाग में तनाव आने लगता है-उसमें वही भयानक खबरें चलती हैं जो एक दिन पहले दिख चुकी हैं- और जब तक मनपसंद चैनल तक पहुंचे तक वह बना ही रहता है।  बाद में भजन या सत्संग के आनंद से मिले अमृत पर ही उस तनाव का निवारण हो पता है।
                              वैसे तो भारतीय अध्यात्मिक दर्शन के अनुसार सभी दिन हरि के माने जाते हैं पर अंग्रेजों ने गुलामी से मुक्ति देते समय शिक्षा, राजकीय प्रबंध व्यवस्था तथा रहन सहन के साथ ही भक्ति में भी अपने सिद्धांत सौंपे जिसे हमारे सुविधाभोगी शिखर पुरुषों से सहजता से स्वीकार कर लिय।  जैसा कि नियम है शिखर पुरुषों  का अनुसरण  समाज करता ही है।  हमें याद है पहले अनेक जगह मंगलवार को दुकानें बंद रहती थीं।  वणिक परिवार का होने के नाते मंगलवार हमारा प्रिय दिन था।  बाद में चाकरी में रोटी की तलाश शुरु हुई तो रविवार का दिन ही अध्यात्मिक के लिये मिलने लगा।  इधर हमारे धार्मिक शिखर पुरुषों-उनके अध्यात्मिक ज्ञानी होने का भ्रम कतई न पालें-ने जब देखा कि उनके पास आने वाली भीड़ में नौकरी पेशा तथा बड़ा व्यवसाय या उद्योग चलाने वाले ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जो रविवार के दिन ही  अवकाश लेते हैं तो उन्होंने उसे ही मुख्य दिवस बना दिया।
                              इधर प्रचार माध्यम भी रविवार के दिन सुपर संडेबनाने का प्रयास करते हैं और उनके स्वामियों के प्रायोजित अनेक संगठन इसी दिन कोई प्रदर्शन आदि कर उनके लिये प्रचार सामग्री बनाते हैं या फिर कोई बंदा सनसनीखेज बयान देता है जिससे उन्हें सारा दिन प्रचारित कर बहस चलाने का अवसर मिल जाता है।  अन्ना आंदोलन और चुनाव के दौरान इन प्रचार माध्यमों को ऐसे अवसर खूब मिले पर अब लगता है कि अब शायद ऐसा नहीं हो पा रहा है। फिर भी महिलाओं के प्रति धटित अपराध अथवा धार्मिक नेताओं के बयानों से यह अपने विज्ञापन प्रसारण के बीच सनसनीखेज सामग्री निकालने का प्रयास कर रहे हैं। यह अलग बात कि जम नहीं पा रहा है।
                              इधर बाहुबली फिल्म की सफलता के अनेक अर्थ निकाले जा रहे हैं।  यह अवसर भी प्रचार माध्यम स्वयं देते है-यह पता नहीं कि वह अनजाने में करते हैं या जानबुझकर-जब बॉलीवुड के सुल्तान और बादशाह से बाहूबली फिल्म के नायक की चर्चा कर रहे हैं। तब अनेक लोगों के दिमाग में यह बात आती तो है कि अक्षय कुमार, अजय देवगन, सन्नी देयोल, अक्षय खन्ना और सुनील शेट्टी जैसे अभिनेता भी हैं जो फिल्म उद्योग को भारी राजस्व कमा कर देते हैं।  अक्षय कुमार के लिये इनके पास कोई उपमा ही नहीं होती।  यह अभिनेता अनेक बार आपस में काम कर चुके हैं पर उसकी चर्चा इतने महत्व की नहीं होती जैसी सुल्तान और बादशाह के आपस में अभिवादन करने पर ही हो जाती है।  अंततः फिल्म और टीवी भावनाओं पर ही अपना बाज़ार चमकाते हैं और इससे जुड़े लोगों का पता होना चाहिये कि उनके इस तरीके पर समाज में जागरुक लोग रेखांकित करते हैं।  सभी तो उनके मानसिक गुलाम नहीं हो सकते। हम ऐसा नहीं सोचते पर ऐसा सोचने वाले लोगों की बातें सुनी हैं इसलिये इस विशिष्ट रविवारीय लेख में लिख रहे हैं।
हरिओम, जय श्रीराम, जय श्री कृष्ण
----------------
दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

कोई टिप्पणी नहीं:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

संबद्ध विशिष्ट पत्रिकायें

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

वर्डप्रेस की संबद्ध अन्य पत्रिकायें