9 मार्च 2016

तयशुदा झूठ का वादा-हिन्दी कविता(Tatshuda Jhooth ka vada-Hindi Kavita)

आदर्श की बातें करते
नायक का मुखौटा
मतलब के लिये
उतार देते हैं।

करते सभी के उद्धार की बात
सिंहासन पर चढ़ने के लिये
कमजोर का कंधा भी
उधार लेते हैं।

कहें दीपकबापू यकीन से
अब इतना ही रहा
हमारा वास्ता
तयाशुदा झूठे वादे पर भी
उतार देते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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