2 मई 2016

सच्चाई नहीं बदल पाती-हिन्दी कविता (Truth Not Chenge-Hindi Poem)

रोज  बदलते
हम अपने रास्ते
कभी मंजिल नहीं बदल पाती है।

हम देखते जागते हुए
रोज नये सपने
सच्चाई नहीं बदल पाती है।

कहें दीपकबापू जिंदगी से
कोई शिकायत न करना
बहुत सोचते तो लोग 
मगर चाल नहीं बदल पाती है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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