30 सितंबर 2017

असल हो या सपना है, जिंदगी का हर पल अपना है-दीपकबापूवाणी (asal ho ya sapn hai zindagi ka har pal apna nai-DeepakBapuwani)

बस कुछ ख्वाहिशें ही तो थीं
जिन्हें हमने मरने दिया,
अपनी जिंदगी में
आजादी से यूं ही चलने दिया।
-----
असल हो या सपना है,
जिंदगी का हर पल अपना है।
हर दर्द मिटाकर ‘दीपकबापू
हसीन पल दिल पर छपना है।
--
देशभक्ति का पेशा कर लेते हैं,
भावना से अपनी जेब भर देते हैं।
‘दीपकबापू’ राम पर ही रखें भरोसा
स्वार्थी इंसान नाम भक्त धर लेते हैं।
---
अपने हिस्से के पल सभी जी लेते हैं,
खुशी चखते गम भी पी लेते हैं।
‘दीपकबापू’ हिसाब लगाते बेकार
सच के डर से झूठा मूंह सी लेते हैं।
---
आपने दिल में चाहत की आग जगाते,
मजबूरियों के स्वयं पर दाग लगाते।
‘दीपकबापू’ रंग लगा कचड़ा घर में
सजाकर शान से प्रशस्ति राग गाते।
----------
धोखा किसी से नहीं किया
इसलिये मशहूर भी नहीं हुए।
‘दीपकबापू’ हाथ पाप की तरफ बढ़ा नहीं
जिंदगी से दूर भी नहीं हुए।
---

कोई टिप्पणी नहीं:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

संबद्ध विशिष्ट पत्रिकायें

लोकप्रिय पत्रिकाएँ

वर्डप्रेस की संबद्ध अन्य पत्रिकायें