8 अक्तूबर 2008

ख्याली पुलाव किसके लिए पकाना-हिन्दी शायरी


अब दिल नहीं भरता किसी की तस्वीर से
लड़ते लड़ते हार गये अब अपने तकदीर से
अपने दिल में मोहब्बत सजा कर रखी थी कई बरस
पर कभी उनको नहीं आया हमारी बक्रारे पर तरस
हर बार उनके इन्तजार के सन्देश लगे तीर से
लगता है अब तस्वीरों से क्या दिल लगाना
ख्याली पुलाव भला किसके लिए पकाना
इसलिए अपने लिए खुद ही बन जाते हैं पीर से

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