रिश्ते की बात करते हुए
वर पक्ष ने जमकर डींग मारीं
'हमारे पास अपना आलीशान मकान है
अपनी बहुत बड़ी दुकान है
घर में रंगीन टीवी, फ्रिज,ऎसी और
कपडे धोने की मशीन है
रसोई में बनते तमाम पकवान हैं'
रिश्ता तय होते ही अपनी
मांगों की सूची कन्या पक्ष को थमा दीं
जिसमें तमाम तरह का मांगा था सामान
जैसे बेटा बिकाऊ इन्सान है
कन्या के पिता ने रिश्ते से
इनकार करते हुए कहा
'आपके घर में बहु की कमी थी
वही पूरी करने के लिए मैं अपनी
बेटी का हाथ देने को तैयार था
पर मुझे लगता है कि
उसकी आपको कोई जरूरत नहीं
क्योंकि आपकी प्राथमिकता
गृह लक्ष्मी को घर में जगह देने की बजाय
उसके साथ आने वाला सामान है'
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शब्द अर्थ समझें नहीं अभद्र बोलते हैं-दीपकबापूवाणी (shabd arth samajhen
nahin abhardra bolte hain-Deepakbapuwani)
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*एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां
पायें।*
*‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।*
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5 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
दिपावली की शूभकामनाऎं!!
शूभ दिपावली!!
- कुन्नू सिंह
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