12 फ़रवरी 2009

पूरा कारखाना गुलाबी बना डालो-व्यंग्य

हौजरी कारखाने के मालिक ने अखबार देखा और उछल पड़ा। उसमें लिखा था कही किसी बात का विरोध करने के लिये कुछ लोग गुलाबी चड्डियां भेजने का अभियान प्रारंभ करेंगे। बस, उसके दिमाग में कोई बात आयी और वह कारखाने के लिये निकल पड़ा। जब वह घर से निकल रहा था तब पत्नी ने टोका कि ‘क्या बात है कि आज जल्दी कारखाने जा रहे हैं वह तो अभी बंद होगा कारखानेे मैनेजर ही रोज उसका दरवाजा खोलता है क्योंकि चाभी उसके पास ही रहती है और वह अभी पहुंचा ही नहीं होगा।’

मालिक ने कहा-‘उसका क्या वह तो कर्मचारी है, मुझे तो कारखाने की सभी प्रकार की चिंता करनी पड़ती है। मेरे पास दूसरी चाभी भी है और अपना कारखाना खोलना स्वयं ही खोलना है। ऐसे कमाने के अवसर रोज नहीं आते।’

पत्नी ने पूछा-‘पर आप करेंगे क्या वहां जाकर? वहां कोई दूसरा कर्मचारी भी नहीं आया होगा।’

हौजरी मालिक ने कहा-‘ मैं सीधे कारखाने नहीं जा रहा हूं। यहां से पहले कपड़े वालों के पास जाऊंगा और उनको गुलाबी रंग्र का कपड़ा भेजने की लिये कहूंगा ताकि अपने वस्त्रों का गुलाबी करण कर सकें। अगले कुछ दिन में गुलाबी रंग की बिक्री बहुत होने वाली है। सभी कपड़े वालों को खुद जाकर गुलाबी कपड़े का आर्डर देना है क्योंकि आजकल फोन पर अधिकतर लोग सुनते बहुत हैं पर समझते कुछ नहीं है। फिर इतने दिनों की मंदी के बाद थोड़ी तेजी की आसार लग रहे हैं। अब तो इस बात की भी चिंता नहीं रहेगी कि किसी का वस्त्र फटे और वह नया खरीदे।
पत्नी ने कहा-‘अरे, यह कोई बात हुई कि गुलाबी रंग की हौजरी अधिक बिकने वाली है। भला कोई जरूरी है कि हर कोई गुलाबी रंग की पहने। यह भला कैसा टोटका है।
हौजरी कारखाने के मालिक ने कहा-‘यहां पहनने वाली बात नहीं बल्कि इसे विरोध स्वरूप तोहफे में भेजने की बात हो रही है। जहां तक पहनने वाली बात है तो इस देश की अधिकतर लोग ऊपर के कपड़े ही अच्छे पहने होते हैं पर अंदर के वस्त्रों में कितने छेद है कोई नहीं देखता। यही कारण है कि हौजरी में भी मंदी तो पहले से चलती है और अब वह और अधिक बढ़ गयी है। ऐसे में सर्वशक्तिमान की कृपा से यह विरोध में तोहफे भेजने का नया फैशन शुरू हो गया है उसका फायदा उठाना आवश्यक है।’
पत्नी ने पूछा-‘यह कैसा फैशन है। किसने शुरु किया है जो किसी का विरोध करने के लिये गुलाबी चड्डी बनियान भेजे जा रहे हैं?’
हौजरी कारखाने का मालिक खुश हो गया-‘अच्छा याद दिलाया। मैं तो केवल गुलाबी चड्डी के बारे में ही सोच रहा था। अब बनियान और रुमाल तक गुलाबी बनवाऊंगा। इस देश में कुछ भी हो सकता है। लोगों को तोहफा भेजना है बस वह गुलाबी होना चाहिये। वैसे भी इस देश में परंपरायें रूप बदलती हैं। कुछ का कुछ हो जाता है। संभव है आगे चलकर गुलाबी बनियान और रुमाल विरोधस्वरूप तोहफे भेजने का सिलसिला प्रारंभ हो जाये।’

पत्नी ने कहा-‘पर विरोध स्वरूप क्यों? तोहफा तो प्रशंसा देने और पाने के लिये प्रस्तुत होता है।’
हौजरी कारखाने के मालिक ने कहा-‘तुम्हारे अंदर जरा भी कामनसैंस नहीं हैं। इस दुनियां में नकारात्मक प्रचार से जल्दी प्रसिद्ध मिलती है। सकारात्मक ढंग से चलने पर बरसों लग जाते हैं इसलिये कई लोग तो अपने खिलाफ अभियान चलवाते हैं। कोई चीज बाजार मंे बेचनी हो तो पहले अपने किसी मित्र से निंदा करवाओ फिर उसके प्रतिवाद स्वरूप अपना विज्ञापन करो-यह आजकल सफलता का शौर्टरूट बन गया है। आज अगर हमारे सामने विरोधस्वरूप गुलाबी रंग की चड्डियां भेजने का फैशन आ गया तो कल बनियान और रुमाल भेजने का भी आ जायेगा। हां, रंग नहीं बदलेगा। वह तो गुलाबी ही रहेगा।’
पत्नी ने कहा-‘अरे, जरूरी नहीं है कि सभी गुलाबी रंग का पहने।’
कारखाना मालिक ने कहा-‘कितनी बार बताया है तुम्हें। यह पहनने ओढ़ने की बात नहीं है। यहां तो केवल तौहफा भेजने की बात हो रही है। बस अब मुझे जाने दो। तुम्हारी समझ में नहीं आयेगा।’
पत्नी ने कहा-‘तब तो ठीक है। फिर पैकिंग करने वाली थैलियां और डिब्बे भी गुलाबी बनवाना।’
हौजरी मालिक ने कहा-‘अच्छा याद दिलवाया। आज तो कंपनी के बोर्ड तक गुलाबी रंग रंगवा डालता हूं। गुलाबी रंग की जय!

उसने मैनेजर के मोबाइल की घंटी बजयी और कहा-‘पूरा कारखाना गुलाबी बना डालो।
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3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

वाह! .
दीपक जी,बढिया पोस्ट लिखी है। बधाई।

sarita argarey ने कहा…

गुल ,गुलशन ,गुलफ़ाम के साथ गुलाब और गुलाबी का ज़बरदस्त मेल है । लोग - लाल पीले होते हैं तो होते रहें । सभी लोग थोडा सा रुमानी हो जाएं गुलाबी रंग में रंग कर ....।

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…
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