लिखो कोई किताब
नायक बनाओ कोई जिन्न।
चाहे जो भाषा हो
चाहे जैसे शब्द हों
मतलब से परे हो सारी सामग्री
पर दिखना चाहिए कुछ भिन्न।
किसी के जख्म सहलाना
या दर्दनाक गीत गाना
अब हिट होने का फार्मूला नहीं रहा
जीत लो दुनियां अपने शब्दों से
करके लोगों का मन खिन्न।
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गढ़े हुए मुर्दे जमीन में खाक हो गये
कुछ जलकर राख हो गये
मगर फिर भी उनके नाम की
पट्टिका अपनी किताब पर लगाओ।
जिंदा आदमी पर लिखे शब्दों के लिये
आज का जमाना प्रमाण मांगता है
जिस पर लिखो
वह भी अपनी हांकता है
मरे हुए लोगों के नाम
अपने शब्दों में सजाकर सफल लेखक कहलाओ।
मुर्दे बोलते नहीं हैं
जज्बाती लोग भी उनका चरित्र तोलते नहीं है
इसलिये कोई मुर्दा नायक बनाओ।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
राम का नाम लेते हुए महलों में कदम जमा लिये-दीपक बापू कहिन (ram nam japte
mahalon mein kadam jama dtla-DeepakBapukahin)
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*जिसमें थक जायें वह भक्ति नहीं है*
*आंसुओं में कोई शक्ति नहीं है।*
*कहें दीपकबापू मन के वीर वह*
*जिनमें कोई आसक्ति नहीं है।*
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*सड़क पर चलकर नहीं देखते...
6 वर्ष पहले
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