अक्ल रख दी गिरवी
ख्वाब दिखाने वालों के पास
नयी सोच से घबड़ाते है
करते अवतार की आस
ऐसे लोग क्या इशारा समझेंगे।
किनारे पर ही खड़े
जो लहरों की अठखेलियां देख डर रहे हैं
वह मझधार में उनके तूफान से क्या लड़ेंगे।
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मन तो चंचल है
उसे स्वयं ही बहलाओ
नहीं तो कोई दूसरा उसे
बहकाकर ले जायेगा
तुम भी बंधे चले जाओगे।
फिर तरसोगे आजादी के लिये
जिसे केवल सपने में ही देख पाओगे।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
राम का नाम लेते हुए महलों में कदम जमा लिये-दीपक बापू कहिन (ram nam japte
mahalon mein kadam jama dtla-DeepakBapukahin)
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*जिसमें थक जायें वह भक्ति नहीं है*
*आंसुओं में कोई शक्ति नहीं है।*
*कहें दीपकबापू मन के वीर वह*
*जिनमें कोई आसक्ति नहीं है।*
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*सड़क पर चलकर नहीं देखते...
6 वर्ष पहले
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