12 सितंबर 2010

धीरे चलो-हिन्दी शायरी (dhire chalo-hindi shayari)

धीरे चलो
सड़क पर गड्ढे ज्यादा हैं,
गिर गये तो
घायल होकर तड़पते रहोगे
उस राह से गुजरता हर इंसान
तुम्हें चूहा समझकर आगे बढ़ जायेगा।
खौफजदा है पूरा शहर
अपने अंदेशों में
भला कौन तुम्हारी मदद को आयेगा।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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2 टिप्‍पणियां:

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

हकीकत है ये अधिकांश शहरों की...सुंदर रचना

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वाह! बहुत सुन्दर.

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