समाज सेवा के धंधे में
वही लोग आते हैं,
जिनको लूटने के साथ ही
धोखे देने के गुर आते हैं।
फरिश्तों का बना लेते वेश
गुरु जिनका शैतान होता
नीयत जिनकी काली
चेहरा मेकअप से सजाते हैं।
‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘
दौलत की दौड़
जेल के सींखचों के पीछे तक जाती है,
जरूरी नहीं है कि
सभी बेईमान फंदे में फंस जायें
मगर सवैशक्तिमान की
नज़रें जिन पर हों जायें टेढ़ी
तो जिन हाथों में नोट सजते हैं
हथकड़ियां भी कभी पड़ जाती हैं।
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वही लोग आते हैं,
जिनको लूटने के साथ ही
धोखे देने के गुर आते हैं।
फरिश्तों का बना लेते वेश
गुरु जिनका शैतान होता
नीयत जिनकी काली
चेहरा मेकअप से सजाते हैं।
‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘‘
दौलत की दौड़
जेल के सींखचों के पीछे तक जाती है,
जरूरी नहीं है कि
सभी बेईमान फंदे में फंस जायें
मगर सवैशक्तिमान की
नज़रें जिन पर हों जायें टेढ़ी
तो जिन हाथों में नोट सजते हैं
हथकड़ियां भी कभी पड़ जाती हैं।
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लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior
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