दिलवाले वही हैं जो
कई जगह आंख लगाते हैं,
बिकता है इश्क यहां
सब्जी की तरह
जेब में पैसा हो तो माशुकाऐं
चेहरा खूबसूरत हो तो
आशिक मक्खियों की तरह
चले आते हैं।
दिल के सौदे अब जज़्बातों से नहीं होते,
दौलत का दम हो तो रिश्ते नहीं खोते,
मेकअप से जहां खूबसूरती रौशन है
कई पतंग उसमें जले जाते हैं।
रंग बदलती इस दुनियां में
अटके जो एक ही मोहब्बत में
ठहरे पानी की तरह गले जाते हैं।
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कौड़ियों के भाव
रिश्ते यहां बिक जाते हैं,
किसे है खौफ पकड़े जाने का
सरेराह लोग वफा बेचते दिख जाते हैं।
शर्महया की बात करना बेकार है
लोग प्यार बेचने की कीमत भी
बाज़ार में लिख आते हैं।
कई जगह आंख लगाते हैं,
बिकता है इश्क यहां
सब्जी की तरह
जेब में पैसा हो तो माशुकाऐं
चेहरा खूबसूरत हो तो
आशिक मक्खियों की तरह
चले आते हैं।
दिल के सौदे अब जज़्बातों से नहीं होते,
दौलत का दम हो तो रिश्ते नहीं खोते,
मेकअप से जहां खूबसूरती रौशन है
कई पतंग उसमें जले जाते हैं।
रंग बदलती इस दुनियां में
अटके जो एक ही मोहब्बत में
ठहरे पानी की तरह गले जाते हैं।
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कौड़ियों के भाव
रिश्ते यहां बिक जाते हैं,
किसे है खौफ पकड़े जाने का
सरेराह लोग वफा बेचते दिख जाते हैं।
शर्महया की बात करना बेकार है
लोग प्यार बेचने की कीमत भी
बाज़ार में लिख आते हैं।
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लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior
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