2 सितंबर 2012

भीड़ में दर्द सुनाना-हिंदी कविता

भीड़ में जाकर
अपना दर्द कहना
अब  हमें नहीं सुहाता है,
अपने गमों से हारे
चीखते चिल्लाते लोग
कानों से सुनते नहीं
अपनी जुबां से
उनको अपना हाल  बयान करना ही  आता है।
कहें दीपक बापू
सर्वशक्तिमान का शुक्रिया
अपने दर्द और खुशी पर
कविता या गीत लिखने की कला दी है
दिल हर नजारे पर
यूं ही कुछ लफ्ज गुनागुनाता है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeepk"
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior




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