14 फ़रवरी 2014

विदुर नीति-भौतिक पदार्थ अंततः नष्ट होते ही हैं(bhautik padarth nasht hote hee hain-vidur neeti)



      इस संसार में जो प्रत्यक्ष रूप से भौतिक पदार्थ दिख रहे हैं वह सभी नष्टप्राय है, यह ज्ञान रखने वाला ही सच्चा ज्ञानी है। यह ठीक है कि जीवन में सुविधा प्रदान करने वाले भौतिक पदार्थों का उपयोग करना कोई बुरी बात नहीं है पर उन पर पूरी तरह निर्भर होना घातक भी होता है।  आजकल वातानुकुल यंत्र, कार, शीतयंत्र, कंप्यूटर तथा टीवी जैसी सुविधाओं का उपयोग जमकर हो रहा है। इनके उपयोग से मनुष्य की दैहिक तथा मानसिक क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है उसके प्रति स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनियां देते आ रहे हैं।  सबसे बड़ी बात यह है कि इन वस्तुओं का उपयोग करना ही लोगों ने सुख मान लिया है। इस कारण अध्यात्मिक ज्ञान के प्रति रुचि के अभाव के कारण समाज में भौतिक पदार्थों के उपयोग से मानसिक तनाव बढ़ रहा है। दूसरी बात यह है कभी न कभी इन आधुनिक यंत्रों को खराब होना ही है तब लोग ऐसा अनुभव करते हैं जैसे कि उनका जीवन दूभर हो गया है।
      जब तक कार चलती है अच्छा लगता है पर जब खराब होती है तब मैकनिक के पास जाना एक संकट लगता है। उसी तरह जब फ्रिज खराब हो तो जब तक वह बन न जाये या दूसरा विकल्प के रूप में स्थापित न हो तब तब भारी असुविधा लगती है। कंप्युटर कीटाणुओं का शिकार बन जाये तो तब जीवन खाली लगता है जब उसको फारमेट न कराया जाये। जब इनका उपयोग हम करते हैं तो देह के लिये संकट खड़ा करते है और जब खराब हों तो मानसिक तनाव घेर लेता है।

विदुर नीति में कहा गया है कि
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तत्वज्ञ सर्वभूतानां योगज्ञः सर्वकर्मणाम्।
उपायज्ञो मनुष्याणां नरः पण्डित उच्यते
     हिन्दी में भावार्थ-जो समस्त भौतिक पदार्थों की वास्तविकता का ज्ञान, कार्य करने का तरीका तथा मनुष्यों में सबसे ज्यादा उपाय जानता है वही पण्डित कहलाता है।
न हृध्यत्यात्मसम्माने नावमानेन तप्यते।
गाङ्गो हृद इवाक्षोभ्यो यः स पण्डित उच्चयते।
     हिन्दी में भावार्थ-सम्मान मिलने पर जो गर्व नहीं करता, न ही अनादर होने पर संतप्त होता है तथा गंगा जी के समान जिसके चित्त में कभी क्षोभ नहीं होता वही पण्डित कहलाता है।

      कहने का अभिप्राय यह है कि इन भौतिक पदार्थों के मोहजाल में पड़ना अत्यंत ही मूर्खता है।  इससे विवेक शक्ति नष्ट होती है।  जो लोग इन पदार्थों का उपयोग तो करते हैं पर अपना सर्वस्व इनको नहीं सौपते वही ज्ञानी और पंडित कहे जा सकते हैं। एक बात तय है कि मनुष्य से बड़ी आयु इन भौतिक पदार्थों की नहीं होती और समय आने पर इनका साथ छूटता ही है। दूसरी बात यह कि इनका उपयोग सीमित रूप से ही किया जाये तभी सेहत बनी रहती है। यह ज्ञान रखने वालों को ही बुद्धिमान कहा जा सकता है।

लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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