टीवी के पर्दे पर रोज एक नया मुद्दा बहस के लिये आता
है,
हर पेशेवर विद्वान अपने तर्क गंभीरता से भरे बताता है,
कहें दीपक बापू जितने गंभीर वह लोग हो जाते हैं,
हमारे मन में उठती हंसी कि बेहाल हो जाते हैं,
किसी का बयान बहुत सनसनीखेज चर्चा करने वाले बताते,
देश पर भारी खतरा है यह सभी मनोयोग से गाते।
लोकतंत्र का कारवां तमाशों के सहारेजोर शोर से चल रहा है,
शुक्र करे शब्दों की तसल्ली से वह इंसान जो अभाव में
जल रहा है,
गरीबों के हमदर्द बटोर कर चंदा सियारों की तरह झुंड
में चलते,
गनीमत है कुछ उदारमना सिंहों की बदौलत भूखों के चूल्हे
जलते,
नारे और वादे गाते हुए शिखर पर चढ़े कई गंभीर से दिखते
लोग,
घेर लेते है जल्दी ही उनके दिल और दिमाग को राजशाही
रोग,
समाज सेवा के पेशे में पाखंडी ही हुनरमंद कहलाता है,
ज़माने के घाव से कमाने वाला हमदर्द मन में मुस्कराता
है।
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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