18 अप्रैल 2015

कोई लाभ नहीं-हिन्दी कविता(koyee labh nahin-hindi poem)


ऐसे मजे भी उठाने से
कोई लाभ नहीं
जिनसे हम थकने लगें।

ऐसी दोस्ती से भी
कोई लाभ नहीं
जिसका हिसाब रखने लगें।

कहें दीपक बापू शब्दों का मोल
 उन्हें समझाने से
कोई लाभ नहीं
जो बोलने की बजाय बकने लगें।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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