28 अप्रैल 2010

प्यार के सौदे में ही उनकी कमाई है-हिन्दी शायरी (pyar ke saude-hindi shayri)

आज की शिक्षा धीमे जहर जैसा
काम कर जाती है।
पैदा होता है इंसान आज़ाद
पर किताबें पढ़कर
गुलाम बनने की इच्छा उसमें घर कर जाती है।
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जब भी बाहर ढूंढा है प्यार,
ठोकर हमने खाई है,
इसलिये अपने अंदर ही दिल में
दर्द हजम करने की ताकत जगाई है।
हंसने की कोशिश कर रहे रुंआसे लोग,
चेहरे चमका रहे हैं, बैठा है दिल में रोग,
पत्थरों के जंगल में इंसान
कोमल दिल कैसे हो सकते हैं,
बातें चिकनी चुपड़े न करें
जज्बात के सौदागर कैसे हो सकते है,
कभी इधर बेचा तो कभी उधर
प्यार के सौदे में ही उनकी कमाई है।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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