18 अप्रैल 2010

रिश्ते और जज़्बात-हिन्दी शायरी (rishtey aur jazbat-hindi shayari)

पेड़, पौद्ये, पशु और पक्षी में
दिल लगाना ही क्यों अच्छा लगता है,
शायद इसलिये कि इंसानों की तरह
जज़्बातों से वह खिलवाड़ नहीं करते हैं।
धोखे खाये होंगे हजार जमाने से,
थक गये इंसानों को आजमाने से,
दुर्गंध और बदनीयती से हुआ सामना
जब मिले इंसानी चेहरों से,
इसलिये दे सके जो ताजी हवा
बिना उम्मीद के दिखाये वफा
उन्हीं से रिश्ते निभाने पर जज़्बात मचलते हैं।
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उनके लिये जमाने भर से
घाव अपने दिल पर लेते रहे,
फिर भी कभी उफ नहीं कहा,
अपने मसले हल होते ही
मुंह वह फेर गये
यह भी नहीं पूछा कि
मेरे लिये तुमने कितना दर्द सहा।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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