13 अगस्त 2010

इज्ज़त और महंगाई-हिन्दी हास्य कविता (izzat aur mahanga par hindi hasya kavita)

वह महंगाई पर कुछ यूं बोले
‘यह तो महंगाई अधिक बढ़ेगी,
तभी हमारी विकास की तस्वीर
विश्व के मानस पटल पर चढ़ेगी,
हमारा लक्ष्य पूरे समाज को
पांच सौ और हजार का नोट
उपयोग करने लायक बनाना है,
आखिर उनको भी तो ठिकाने लगाना है,
यह क्या बात हुई
पचास से सौ रुपये किलो सब्जी बिक रही है,
चाय की कीमत भी चार रुपये दिख रही है,
भरी जाती है एक रुपये में साइकिल में हवा,
पांच रुपये में भी मिल जाती है बीमारी की दवा,
हो जायेंगी सभी चीजें महंगी,
खत्म हो जायेगी पैसे की तंगी,
बड़े नोट होंगे तो
कोई अपने को गरीब नहीं कह पायेगा,
हमारा देश अमीरों की सूची में आ जायेगा,
देश का नाम बढ़ाने के लिये
त्याग तो करना होगा,
भले ही एक समय रोटी खाना पड़े
देश का नाम विकसित सूची में तो भरा होगा,
तभी अपनी इज्जत दुनियां में बढ़ेगी।’’
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com

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