15 नवंबर 2011

इंसानों के वादे -हिन्दी शायरी (insano ke vaade-hindi shayari or poem)

आम इंसान हो या खास
चाहे जब वादे कर चले जाते हैं।
सबकी याद्दाश्त सिमटी है अपने मतलब तक,
फरिश्ता बनने कि ख्वाहिशें पाले सभी हैं
अपने पेट भरने के बाद सभी हैं जाते हैं थक,
फिर भी ताकत कोई है इस धरती पर
जो मझधार में फंसे लाचारों की नाव
वादा न करने वाले
अजनबी पार लगा जाते हैं।
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior

writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior

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