26 अक्तूबर 2014

बाप की ताकत पर सवाल-हिन्दी व्यंग्य कविता(baap ki taqat par sawal-hindi satire poem)



बात का बतंगड जब होता
लोग बाप की ताकत पर
ताना देने लग जाते हैं।

स्वयं के परिवार से किसी ने
  चराई न हो बकरी
दूसरे के बाप पर शेर के
 शिकार का सवाल उठाते हैं।

कहें दीपक बापू जुबान से
जब नहीं बोलते  संभलकर
तब बुद्धि खोटी हो जाती है,
शब्द की मार छोटी हो जाती है,
इतिहास गवाह है
बाप ने जिंदगी की जंग
लड़ते हुए गुजारी हो
बेटे ज़माने की छाती पर
मूंग दलते हुए आकाश तक
पहुंच जाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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