खुद ही थपथपा लो
क्यों यहां अपने को महान दिखाने के लिये
वहां जाकर अपने हाथ फैलाते हो।
एक दिन दुत्कार दिये जाते
दूसरे दिन सौदा कर लाते खिताब
यहां अपने को खास शख्स दिखाते हो।
यूं पहले हम भी सोचा करते थे
परदेस में कहीं होगा ईमान का राज
पर जब से देखा हो तुम्हारे सिर पर परदेस का ताज
यह वहम भी टूट गया है
सच बात यह कि पूरी दुनियां से
यकीन रूठ गया है
जो इनाम लेकर आये हो परदेस से
अब देश मे मत इतराना
पूरे विश्व का हो गया एकीकरण हो गया
बेईमानी और धोखे मे भी ं
जान गये हैं लोग
इसलिये अपनी बात को मजाक मत बनाना
नहीं छिपेगा चाहे कितनी कोशिश कर लो
सब जानते हैं कि
कई एतिहासिक किस्से हों या
खास लोगों को मिलने वाले खिताब
कहीं पैसे से तो कोई लट्ठ से तय किये जाते हैं
जिनको तुम रोमांच और असली दिखाते हो।
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1 टिप्पणी:
संदर्भ भी दे देते तो समझने में सरलता होती. :)
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