खुशी हो या ग़म
हंसी हो या स्यापा
अब बाजार में बिकता है,
कब क्या करना है
प्रचार में इशारा दिखता है।
कभी दिल को गुदगुदाना,
कभी आंखों में आंसु लाना,
सौदागरों का करना है जज़्बातों का सौदा
उनको नहीं मतलब इस बात से कि
किसका बसेगा
या किसका उजड़ेगा घरौंदा,
कलम का गुलाम
उनके पांव तले
उनकी उंगलियों के इशारे पर
हर पल की कहानी लिखता है।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com
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राम का नाम लेते हुए महलों में कदम जमा लिये-दीपक बापू कहिन (ram nam japte
mahalon mein kadam jama dtla-DeepakBapukahin)
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*जिसमें थक जायें वह भक्ति नहीं है*
*आंसुओं में कोई शक्ति नहीं है।*
*कहें दीपकबापू मन के वीर वह*
*जिनमें कोई आसक्ति नहीं है।*
*---*
*सड़क पर चलकर नहीं देखते...
6 वर्ष पहले
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