देशभक्ति और गरीब की भलाई तो बस नारे हैं
जो लोकतंत्र के बाज़ार में
हमेशा बिक जाते हैं।
अमीर जताते दिखावे की मज़दूरों से हमदर्दी
भलमानस कहलाते, चाहे लूटने में दिखाते बेदर्दी
तो गद्दार भी नारे लगाकर
यहां वफादार का सम्मान पाते हैं।
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घोषणा है तो सड़क बन ही जायेगी,
तय बजट में से कुछ तो जरूर खायेगी।
लोग चल पायें या नहीं,
मगर कागज पर सड़क चकाचक नज़र आयेगी।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://anant-shabd.blogspot.com
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*एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां
पायें।*
*‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।*
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5 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
लोग चल पायें या नहीं,
मगर कागज पर सड़क चकाचक नज़र आयेगी।
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फिर कागज़ पर ही मरम्मत होगा
और बहुतो की जेब भर जायेगी
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