कौन कहता है कि
मरने के बाद आदमी की दौलत
उसके साथ नहीं चलती है,
सच यह है कि
गरीब की लाश तरसती हो
कफन के लिये
मगर अमीर की अर्थी भी
डोली की तरह राह पर चलती है।
शायद इसलिये
हरेक के मन में दौलत मंद होने की
ख्वाहिशें पलती हैं।
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लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior
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