जमाना बदल जाये
इस ख्वाहिश में
पूरी जिंदगी बीत जायेगी,
अगर खुद को बदल सको
बेहतर रहेगा,
नजरिया बदला तो
दुनियां बदली नजर आयेगी।
-------
तूफानों की ताकत बहुत है
मगर वह पेड़ उजाड़ते हैं
लगा नहीं सकते,
जिनके पास ताकत है जमाना बदलने की
पहले खुद बदलकर दिखाते हैं,
जिनमें कुब्बत नहीं है
वह मजबूरियों के नाम लिखाते हैं,
कमजोर लोग खाली शोर मचाकर नहीं थकते।
इस ख्वाहिश में
पूरी जिंदगी बीत जायेगी,
अगर खुद को बदल सको
बेहतर रहेगा,
नजरिया बदला तो
दुनियां बदली नजर आयेगी।
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तूफानों की ताकत बहुत है
मगर वह पेड़ उजाड़ते हैं
लगा नहीं सकते,
जिनके पास ताकत है जमाना बदलने की
पहले खुद बदलकर दिखाते हैं,
जिनमें कुब्बत नहीं है
वह मजबूरियों के नाम लिखाते हैं,
कमजोर लोग खाली शोर मचाकर नहीं थकते।
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior
‘दीपक भारतदीप की हिन्दी-पत्रिका’ पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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