2 दिसंबर 2011

उस्ताद, शागिर्द, चिमटा और मॉल-लघु हास्य व्यंग्य (ustad, shagird,chimta and mol-short hasya vyangya)

                उस्ताद ने शागिर्द से कहा-’‘चल आज शहर के किसी मशहूर मॉल में घूम कर आयें। हमने बहुत सुना है कि नयी पीढ़ी के लोग मॉल में घूमने और खरीदने जाते हैं। इधर अपनी दरबार यहां शगिर्दों का का अकाल पढ़ गया है। सभी हमारी तरह बूढ़े हो गये हैं। कई तो नौकरी और धंधे से रिटायर होकर खोपड़ी खाने आते हैं। पहले की तरह दान और चंदा मिलता नहीं है। बैठे बैठे बोरियत होने लगी है। अपनी कोशिशों से नयी पीढ़ी के शागिर्द बनायेंगे।
           शागिर्द ने कहा-‘‘ मॉल में जाकर करेंगे क्या? वहां नयी पीढ़ी के लोग खरीदने आते हैं तो बच्चे नये खेल खेलने के लिये माता पिता को साथ लाते हैं। आपको वहां नये चेले कदापि नहंी मिलेंगे। आज की पीढ़ी के लोगों को शहर में इश्क लड़ाने के लिये उद्यान या खाली मैदान मिलते नहीं है। ऐसे सैर के स्थान विकास की भेंट चढ़ गये हैं। इसलिये मॉल में खरीदने के जवान पीढ़ी के लोग बहाने इश्क लड़ाने आते हैं। आप वहां चलेंगे तो अजूबा लगेंगे।’’
           उस्ताद अपना चिमटा तीन चार बार बजाकर बोले-‘‘तू हमारी मजाक उड़ाता है। अरे, हम पहुंचे हुए सिद्ध हैं। वहां जाकर अपने लिये नये चेले तलाश करेंगे। यह चिमटा बजाकर लोगों को अपनी तरफ खीचेंगे। तुम हमारी सिद्धि का बयान करना। हो सकता है कुछ आशिक और माशुकाऐं अपने इश्क की कामयाबी का तरीका पूंछें। हम उनको उपाय बतायेंगे। कुछ का काम बनेगा कुछ का नहीं! जिनका बनेगा वह मनौती पूरी होने के एवज में हम पर चढ़ावा चढ़ायेंगे।
शागिर्द बोला-‘‘महाराज अगर चलना है तो फिर है चिमटा वगैरह छोड़ दीजिये। इस धोती और कुर्ते को छोड़कर जींस और शर्ट पहन लीजिये। अपनी दाढ़ी कटवा लीजिये। इस वेशभूषा में मॉल के प्रहरी अंदर घुसने नहीं देंगे।’’
         उस्ताद ने कहा-‘‘हम यह चिमटा नहीं छोड़ सकते क्योंकि यह हमारी पहचान है। वेशभूषा बदल देंगे, दाढ़ी कटवा देंगें और तुम कहो तो मूंछें भी मुड़वा देंगे। सफेद बालों को भी काला कर लेंगे, पर यह चिमटा नहीं छोड़ सकते। यह तो लेकर चलेंगे ही।
         शागिर्द बोला-‘महाराज, आप अपनी जिद छोड़ दें। यह चिमटा हथियार की तरह लगता है। प्रहरी अंदर नहीं जाने देगा।
           उस्ताद ने कहा-‘‘उसकी यह हिम्मत नहीं हो सकती। हम उसे समझायेंगे कि यह चिमटा है न कि हथियार, तब अंदर जाने देगा। कौनसे मॉल का कौनसा कायदा है कि चिमटा हथियार है जिसे लेकर अंदर नहीं जाया जा सकता।’’
शागिर्द बोला-‘‘नहीं है तो बन जायेगा। मॉल वाले कोई छोटे मोटे लोग नहीं होते। ऐसा कायदा आपके वहीं खड़े खड़े तत्काल बनवा भी देंगे कि चिमटा लेकर अंदर प्रवेश वर्जित है। इन दौलतमंदों के हाथ में सारा जमाना है। चलने, फिरने और उठने बैठने के इतने कायदे बन गये हैं कि आपको पता ही नहीं है। आप क्यों एक नया कायदा बनवाना चाहते हैं कि चिमटा लेकर मॉल में घुसना मना जाये? यह तय है कि चिमटा लेकर अंदर नहीं जाने दिया जायेगा। आप ज़माने पर एक कायदा लदवाने की बुराई अपने सिर क्यों लेना चाहते है? इससे आपके पुराने शगिर्द भी नाराज हो जायेंगे।’’
उस्ताद का चेहरा उतर गया और उन्होंने मॉल जाने का इरादा छोड़ दिया।
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लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर 
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior

writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior

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