यूं तो हर आदमी अपने लिए कुछ
ढूँढता है इस जीवन पथ पर
नाम नहीं जानता
पहचान नहीं पाता
हर चीज का कोई होता है
पर उसके उपयोग का कोई अंजाम नहीं जानता
बहुत अक्लमंदी दिखाता है
अपना अज्ञान छिपाने में
पर उसको आता है खुद सब नजर
राम का नाम लेते हुए महलों में कदम जमा लिये-दीपक बापू कहिन (ram nam japte
mahalon mein kadam jama dtla-DeepakBapukahin)
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*जिसमें थक जायें वह भक्ति नहीं है*
*आंसुओं में कोई शक्ति नहीं है।*
*कहें दीपकबापू मन के वीर वह*
*जिनमें कोई आसक्ति नहीं है।*
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*सड़क पर चलकर नहीं देखते...
6 वर्ष पहले
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