पहले तोड़कर फिर जोड़ने की बात
पहले रुलाकर फिर हँसाने की बात
अपनी नाकामियों को छिपाने के
लिए रोज नया मोर्चा खोलने की बात
बौना चरित्र, खोखला ख्याल और
खोटी नीयत से समाज में बदलाव की बात
बरसों से चल रही है यहाँ
कहने वालों को लोग सिर उठा लेते हैं
सौंप देते अपने दिल के ताज
फिर भी चल रही है बात पर बात
लोगों की याददाश्त कमजोर होती है
सुना था
पर यहाँ तो लापता है वह
सुनने से पहले ही लोग भूल जाते बात
-------------------------------------------
किसी को यादों में बसाएं
ऐसा साथी मिलता नहीं
किसी के वादों पर भरोसा करें
ऐसा यार अब मिलता नहीं
भूलने की आदत अच्छी लगती है
अब यादों से डरने की कोई बात नहीं
वफाएं तो मिलती कहाँ
बेवफाई का दर्द दिल मी बसता नहीं
शब्द अर्थ समझें नहीं अभद्र बोलते हैं-दीपकबापूवाणी (shabd arth samajhen
nahin abhardra bolte hain-Deepakbapuwani)
-
*एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां
पायें।*
*‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।*
*---*...
5 वर्ष पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें