कभी पाँव ऊंचा पर
तो कभी खाई में
जीवन का सफर है
चलता जा रहा हूँ अपने रास्ते
वक्त नहीं गंवाता जगहंसाई में
कहने को लोग कुछ भी कहेंगे
करो या न हंसो वह हँसेंगे
घोडे को गधा और और सियार को शेर समझेंगे
चलता जा रहा हूँ
किसी को सुनने में नहीं दिलचस्पी
सब जगह लोगों का मन लगता है
छोड़ किसी की भलाई में
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राम का नाम लेते हुए महलों में कदम जमा लिये-दीपक बापू कहिन (ram nam japte
mahalon mein kadam jama dtla-DeepakBapukahin)
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*जिसमें थक जायें वह भक्ति नहीं है*
*आंसुओं में कोई शक्ति नहीं है।*
*कहें दीपकबापू मन के वीर वह*
*जिनमें कोई आसक्ति नहीं है।*
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*सड़क पर चलकर नहीं देखते...
6 वर्ष पहले
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