9 सितंबर 2008

चोरी के मामले में डाल दो ढील-हास्य कविता

घर में घुसते ही बोला फंदेबाज
‘शंका तो हमें रास्ते में ही हो गयी थी कि
आज होगी तुम्हारे लिये जश्न की शाम
सामने होगी बोतल और हाथ में होगा जाम
बा ने बताया था फोन पर कि
ब्लाग चोरी होने के बाद तुम्हारे
पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे
उछल कूद कर रहे हो इतनी कि
सिर के बाकी बाल भी झड़ रहे
क्या किसी अंग्रेज ब्लागर से की थी
अपना ब्लाग चुराने की डील
बड़ा बुरा हो रहा है हमें फील
देश में क्या कम ब्लागर थे
जो विदेश से ले आये हिट होने के लिये ऊर्जा
अपने लोगों के सीने में ठोक दी कील’


नोट-यह इस ब्लाग दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका" की मूल रचना है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति नहीं है। अगर किसी को यह कहीं अन्य प्रकाशित मिले तो इस ब्लाग http://deepakraj.wordpress.com पर सूचित करे।
दीपक भारतदीप, लेखक संपादक

ग्लास को मूंह लगाने के बाद
फिर उसे रखते हुए बोले महाकवि दीपक बापू
‘कमबख्त आज अच्छे दिन भी
तुम्हारा आना हुआ है
अंतर्जाल पर ब्लाग चोरी होना
सम्मान की बात समझी जाती है
कोई भाग्यशाली ही होता है
जिसके हिस्से यह घटना पेश आती है
यहां सभी हिट होने के लिये मरे जा रहे हैं
नैतिकता और भक्ति का तो बस नाम लेते हैं सब
अपने ऊपर दो नंबर की गठरी ले जा रहे हैं
पहले लोग अपने यहां छापे पड़वाते थे
अपने यहां इज्जत बढ़ाने के लिये
अब फिर रहे हैं अपना सामान
चोरी कराने के लिये
कर लेते हैं डील
फिर करवाते हैं अपने हिट होने की फील
चोरी हो जाने पर कोई नहीं रोता
हो जाने पर ही हिट होने की चैन की नींद सोता
चोरी होने को सामान बहुत है
पर उसे उठाने वाले बहुत कम है
किसका उठायें और किसका नहीं
चोरों को भी यही गम है
देश में भला किससे चोरी करवाते
विदेश में ब्लागर तो छिपा रहेगा
देश का होता तो पता नहीं
कब पाला बदल जाता
और हम अपनी असलियत कब तक छिपाते
हमने नहीं की
हम क्या जाने तकनीकी के बारे में
कोई प्रशंसक ही कर आया है
हमारा ब्लाग चुराने की डील
किसने की और कैसे की, इससे क्या मतलब
हमें तो बस गाना है अपना गुड फील
जब तक किसी विदेशी से हाथ न मिलायें
भला इस देश में कौन इज्जत करता है
शादी हो या व्यापार
हर कोई विदेश में डील के लिये मरता है
चोरी हुआ हमारा ब्लाग
जो कि हिट की शर्त पूरी करने के लिये काफी है
अब तुम पर हास्य कवितायें लिखते हुए
हमेशा रहे फ्लाप
तो अपना रुतवा विदेशियों के दम पर दिखायेंगे
सारा जमाना जा रहा है
हम भी जरा चलकर देखें
फिर अपनी असलियत पर लौट आयेंगे
अपने घर का चिराग तेल से नहीं
विदेशी ऊर्जा से जलायेंगे
अभी तो चीयर्स करो
तकनीकी से हम दोनों हैं पैदल
जिसमें अपना फायदा दिखे वही कहो
और हिट पाने में मस्त रहो
चोरी के मामले में डाल दो ढील
देशभक्ति तुम संभालों
हमें लगाने दो सब तरफ हिट की कील
..................................................
नोट-यह एक काल्पनिक हास्य कविता है इसका किसी घटना या व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है। अगरकिसी की कारिस्तानी से मेल खा जाये तो वही इसके लिये जिम्मेदार होगा

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