अपने खानदान की इज्जत
बचाने के लिये क्या नहीं किया
जमाने भर को दी दावत
जगमगा दिया मेहमानों के आने का रास्ता
अपनी मुस्कान बिखेर दी हर मिलने वाले से
पर फिर भी शिकायतों ने हैरान किया
खाने में स्वाद की कमी
शराब के खराब होने की चर्चा
शमियाने के बेढंगे होने की बात
जिसे इज्जत की खातिर किया वह
फिर भी नसीब नहीं हुई
चाहे जिंदगी की बचत को हवा किया
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