7 अगस्त 2011

दोस्त और दोस्ती-हिन्दी शायरी (dost aur dosti-hindi shayari)

सुबह से शाम तक भटके शहर में 
कोई दोस्त न मिला,
मिले जो लोग 
उनको  अपना कहना मुश्किल था 
जिनसे कर आये थे वह वफ़ा का वादा 
कर रहे थे हमारे सामने उनकी गिला 
---------------------------
दोस्त बहुत हैं 
मगर दोस्ती का मतलब समझ में न आया,
भीड़ में अजनबी भी अपना कहने लगे 
पर जब सहारे के लिए ताका इधर उधर
अपने को अकेला पाया

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