28 मार्च 2019

भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते-दीपकबापूवाणी (bhramjal Failakar singhasan paa jaate-DeepakbapuWani

छोड़ चुके हम सब चाहत,
मजबूरी से न समझना आहत।
कहें दीपकबापू खुश होंगे हम
ढूंढ लो अपने लिये तुम राहत।
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बुझे मन से न बात करो
कभी दिल से भी हंसा करो।
बिना मतलब भी चला करो
सदा धनजाल में न फंसा करो।
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भ्रमजाल फैलाकर सिंहासन पा जाते
नाम शेर पर जनधन चूहे जैसे खाते।
‘दीपकबापू’ प्रजातंत्र में भी हम मजबूर
ठगों को राजपद पर बैठा पाते।।
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भ्रष्टाचारी करते सबका बेड़ा पार
झूठे चलाते भलाई का व्यापार।
बेबस जन ‘दीपकबापू’ क्या करें
उठाये कंधों पर राजकर का भार।
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