जिस तरफ मतलब के रास्ते जाते हैं,
लोग तोहफों को अपनी सवारी बनाते हैं।
कहें दीपक बापू फरिश्तों की बस्ती तो आकाश है
धरती पर जिंदगी जीते वही शान से
जो लेने देने का सिद्धांत अपनाते हैं।
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वह तोहफा लेकर हाथ में खड़े थे
देने से पहले अपने मतलब का मुद्दा बताया,
हमने ना की तो वह वापस चल दिये,
किसी दूसरे को तोहफा देने के लिये।
कहें दीपक बापू मतलब से तोहफों का
रिश्ता हमने देखा है
खड़े हैं खाली हाथ इसलिये।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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