14 मई 2014

पूर्वानुमान तथा वास्तविक चुनाव परिणामों के मिलान की प्रतीक्षा-हिन्दी लेख(between exit poll and real result loksabha election 2014)



                   
                      2014 के लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों के प्रचार से इतर दृश्यव्य रचनाकर्मियों की कुछ कार्टून फिल्मों को भी लोकप्रियता मिली। इन लोगों ने कुछ कार्टून फिल्में बनाकर राजनीतिक नेताओं को लोकप्रियता दिलाई तो कुछ का मखौल बनाया। अनेक रेखांकित पात्र रचकर उनके  मजाकिया संवादों से लोगों का मनोरंजन किया।  एक  लघु फिल्म प्रस्तुत की गयी जिसका गाना का मुखड़ा हुआ पहचानो मैं हूं कौन' अगर आप निरपेक्ष भाव वाले व्यक्ति हों तो उस पर हंसे बिना नहीं रह सकते।  हमारे एक मित्र का कहना था कि अगर उस फिल्म में दिखाये गये नेता स्वयं प्रचार में न जाकर केवल मंचों पर यही फिल्म दिखायें तो उनको वैसा ही महत्व मिलेगा जैसा कि वह प्रत्यक्ष जाकर आमजनों से पाना चाहते हैं।
                      टीवी समाचार चैनलों ने अनेक व्यंग्य तथा फिल्में प्रस्तुत कीं। इंटरनेट पर भी अनेक लघु फिल्में देखने को मिलीं।  इन फिल्मों ने एक तरह से वास्तविक प्रचार अभियान को उन्नत करने का काम किया होगा, ऐसा हमारा मानना है। कुछ उत्साही दृश्यांकन में दक्ष युवा रचनाकर्मियों की यह रचनायें हास्य का भाव पैदा करती थीं।  संभव है इनमें कुछ फिल्में प्रायोजित की गयीं हों क्योंकि उनकी सामग्री कभी कभी पूर्वाग्रह से ग्रसित लगती थीं।  बहरहाल निरपेक्ष भाव के दर्शकों के लिये वह लुभावनी थीं।
                      इस बार चुनाव समाप्ति और परिणामों की घोषणा के बीच दिनों का अंतर अधिक है इसलिये प्रचार माध्यमों को अपने विज्ञापन प्रसारित करने के लिये समाचार टीवी चैनलों  पूर्वानुमान का विषय मिल गया है जिससे वह अपने विज्ञापन का समय पास कर रहे हैं। प्रचार माध्यमों में एक लहर चलती दिख रही है पर उसका प्रमाणीकरण 16 को वास्तविक चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा।
                      इधर आईपीएल क्रिकेट प्रतियोगिता चल रही है पर चुनावों के चलते प्रचार माध्यम उस पर समय नहीं दे पा रहे। उनके लिये क्रिकेट टाईम पास है। जब कोई विषय न हो तब वह क्रिकेट के खेल पर चर्चा करते हैं।  कहा जाता है कि क्रिकेट में सट््टेबाज चांदी काटते हैं पर लगता है कि उनको इस समय चुनाव परिणामों पर अपने दाव लगाने से फुर्सत ही नहीं है। इन सट्टेबाजों की भविष्यवाणियां भी सामने आयीं हैं।  चैनलों के पूर्वानुमान के साथ इनके भी आंकड़े दिखाये जा रहे हैं।
                      इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस बार अंतर्जाल पर लोकसभा चुनाव 204 का प्रचार अत्यंत रोमांचकारी था। वैसे तो ब्लॉग और फेसबुक पर कोई गंभीर पाठ या टिप्पणियां नहीं दिखी अलबत्ता संक्षिप्त द्वंद्व देखने को अवश्य मिला। इसका कारण यह था कि अंतर्जाल की गतिविधियों से इस चुनाव पर कोई अधिक प्रभाव पड़ने वाला नहीं था इसलिये व्यवसायिक प्रचार कर्मी यहां सक्रिय नहीं थे।  यह अलग बात है कि टीवी समाचार चैनलों ने अपनी फेसबुक तथा एसएमएस से प्राप्त लोगों के विचारों को अपने पर्दे पर दिखाया जिसे अब आधुनिक तकनीकी के कारण आमजन की भागीदारी के नये रूप में भी मान सकते हैं।  कम से कम इनसे देश में मतदाता के मिजाज का आभास तो हो ही रहा था।  बहरहाल हमें भी बेसब्री से चुनाव परिणाम का इंतजार है। हम देखना चाहते हैं कि पूर्वानुमानों का चुनाव परिणामों से कितना संबंध रहा था।

8 मई 2014

महंगाई और रिश्ते-हिन्दी कवितायें(mahangai aur rishtey-hindi poem's)



महंगाई में सामानों के दाम बढ़े तो रिश्तों के घटे हैं,
पावडर से चमके चेहरे मगर दिल सभी के फटे हैं।
कहें दीपक बापू अपनी जिंदगी को सस्ता बना दिया
इंसानों ने अपनी हालातों को कर्जे से  खस्ता बना लिया,
संवेदनायें मर गयी तो खूंखार सपने दिमाग में बसे है,
उखाड़ते हैं दूसरों के मसले जबकि खुद जंजालों में फंसे हैं,
अंदर से कमजोर होकर भी कड़ी जुबान लेकर लोग डटे हैं।
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खुशियां में नहीं दाम देकर नहीं मिलती हैं,
बिना मेहनत किये ख्वाबों में तकदीरें नहीं हिलती हैं।
कहें दीपक बापू सामानों में दिल लगाना बेकार है
लोहे और पत्थर पर कभी खुशियों की कलियां नहीं खिलती हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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