8 मई 2014

महंगाई और रिश्ते-हिन्दी कवितायें(mahangai aur rishtey-hindi poem's)



महंगाई में सामानों के दाम बढ़े तो रिश्तों के घटे हैं,
पावडर से चमके चेहरे मगर दिल सभी के फटे हैं।
कहें दीपक बापू अपनी जिंदगी को सस्ता बना दिया
इंसानों ने अपनी हालातों को कर्जे से  खस्ता बना लिया,
संवेदनायें मर गयी तो खूंखार सपने दिमाग में बसे है,
उखाड़ते हैं दूसरों के मसले जबकि खुद जंजालों में फंसे हैं,
अंदर से कमजोर होकर भी कड़ी जुबान लेकर लोग डटे हैं।
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खुशियां में नहीं दाम देकर नहीं मिलती हैं,
बिना मेहनत किये ख्वाबों में तकदीरें नहीं हिलती हैं।
कहें दीपक बापू सामानों में दिल लगाना बेकार है
लोहे और पत्थर पर कभी खुशियों की कलियां नहीं खिलती हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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