28 फ़रवरी 2016

शह और मात-हिन्दी कविता(Shah aur Maat-Hindi Kavita)

वह नाश के नारे
लगाते हुए
विकास की बात करते हैं

बने न किसी के मददगार
नायक दिखाने के लिये
बेदम पर घात करते हैं।

कहें दीपकबापू पढ़कर
किताबों के शीर्षक
शब्दों के अर्थ तय कर लेते
अपनी ही सोच से
शह और मात भरते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

17 फ़रवरी 2016

शहर में अमन का नाश-हिन्दी कविता(shahar mein aman ka nash-Hindi kavita)


ख्वाबों के पंख लगाकर
ज़मीन पर स्वर्ग
तलाश करते हैं।

अपने घर से लापता
शहर में अमन का
नाश करते हैं।

कहें दीपकबापू किताब पढ़कर 
कोई शब्दों का
कद्रदान नहीं बनता
अक्ल की कमी वाले
अर्थ का भी नाश करते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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