11 मार्च 2013

वफा का बाज़ार-हिन्दी शायरी (vafa ka bazar-hindi shayari)


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चेहरे पर होती उनकी मुस्कान
जब वह सामने आते हैं,
यह अलग बात है
मुंह फेरते ही
उनके ख्याल बदल जाते हैं।
कहें दीपक बापू
गिरगिट का रंग बदलना
कुदरत का तोहफा है
क्यों करते हैं
बेवफा इंसानों से तुलना
जो अपनी वफा का सौदा करते हुए
अपनी नीयत बाज़ार में सजाते हैं।


लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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