बरसों तक दर्द पीते रहे हम,
कभी कम नहीं हुए गम,
इलाज के मिले हजार नुस्खे
मगर दवाओं का था असर कम,
कहें दीपक बापू
जब तक आसरा टिकाया दूसरों पर
हवा का थोड़ा झौंका भी
हिला देता था जिंदगी
अब तो उम्मीद लादी है
अपने ही कंधों पर
बोझ तले नहीं लड़खड़ाते इसलिये कदम।
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writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior
कभी कम नहीं हुए गम,
इलाज के मिले हजार नुस्खे
मगर दवाओं का था असर कम,
कहें दीपक बापू
जब तक आसरा टिकाया दूसरों पर
हवा का थोड़ा झौंका भी
हिला देता था जिंदगी
अब तो उम्मीद लादी है
अपने ही कंधों पर
बोझ तले नहीं लड़खड़ाते इसलिये कदम।
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लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
writer aur editor-Deepak 'Bharatdeep' Gwalior
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