कभी उदास कभी मुस्कराती है जिंदगी
एक पल दर्द है दूसरे पल ही
खुशी मुस्कराती चली आती है,
समय ठहरता नहीं है
फिर भी खुशनुमा पलों के रुकने की
ख्वाहिश मन को सताती है।
कहें दीपक बापू
लोग चाल बदलते हैं अपने मतलब के लिये,
अंधेरों के हमदर्द
बाद में बनते हैं
पहले अपने घर के रौशन कर दिये,
धोखा देना आसान है इस दुनियां में
करता है जब ज़माना पत्थरों पर आस,
कमाने की चाहत वालों से वफादारी की उम्मीद बेकार
दलालें का देवता न सोना होता न देवी होती घास,
मुसीबत से लड़ने फरिश्ते आकाश से नहीं आते
सच्चाई से मुंह फेर कर
ख्वाब देखने की आदत इंसान को सताती है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
लेखक और संपादक-दीपक "भारतदीप",ग्वालियर
poet, writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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