11 जनवरी 2009

नहीं फैलाये हाथ उधार की आग के लिये-हिंदी शायरी

हमारे इम्तहान के लिये
उन्होंने कई सवाल दाग दिये
उत्तर सुनने से पहले ही
मैदान छोड़कर वह भाग लिये
हमारे जज्बातों का मखौल उड़ाते हैं
जिन सवालों का जवाब देना हैं हमें
वह भी खुद ही दिये जाते हैं
दूसरे के दिल से खेलने वाले
क्या समझें प्यार का मतलब
क्या जाने उस शख्स के जज्बात
जो घूम रहा हो जमाने में
नये ख्यालों की रौशनी जलाने के लिये
अपने पसीने की ऊर्जा जुटाई है
नहीं फैलाये किसी के आगे अपने हाथ
उधार की आग के लिये

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