11 जून 2016

किताब और अक्ल-हिन्दी व्यंग्य कविता (Kitab Aur Akla-Hindi Satire poem)

सड़क पर चलना
सीख नहीं पाये
चौपाये पर सवारी कर ली।

सोचना कभी आया नहीं
किताबें पढ़कर ही
अक्ल से यारी कर ली

कहें दीपकबापू अपना भार
जो कभी उठा नहीं सके
 ज़माने के उठाये बोझ से
गर्दन भारी कर ली।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 

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