अपने घर में शेर
शिकार पर बाहर निकले
ढेर हो गये।
पढ़ी चंद किताबे
वह अब मानने लगे कि
सवा सेर हो गये।
कहें दीपकबापू भाग्य का खेल
कहने से गुरेज क्यों करें
काबलियत के पैमाने
भूल गया ज़माना
भेड़िये की खाल में भी
कई शेर हो गये।
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शिकार पर बाहर निकले
ढेर हो गये।
पढ़ी चंद किताबे
वह अब मानने लगे कि
सवा सेर हो गये।
कहें दीपकबापू भाग्य का खेल
कहने से गुरेज क्यों करें
काबलियत के पैमाने
भूल गया ज़माना
भेड़िये की खाल में भी
कई शेर हो गये।
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